कितना अजीब अपनी ज़िन्दगी का सफ़र निकला, सरे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला, जिसके नाम अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा कर दिया, अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला..